अस्वीकृत. Owen Jones

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Название अस्वीकृत
Автор произведения Owen Jones
Жанр Зарубежное фэнтези
Серия
Издательство Зарубежное фэнтези
Год выпуска 0
isbn 9788835426981



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ेन जोन्स बुक्स तथा लेखन पर अंदर की सूचनाएँ

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      1 श्री ली की अवस्था

      श्री ली या बूढ़ा ली, जिस नाम से उसे स्थानीय लोग जानते थे, हफ्तों से अजीब सा महसूस कर रहा था, और चूंकि स्थानीय समाज बहुत छोटा और अलग-थलग था, क्षेत्र का हर व्यक्ति उससे वाकिफ था। वह एक स्थानीय चिकित्सक के पास इसका समाधान खोजने गया, एक पुराने ढंग की चिकित्सक, कोई आधुनिक मेडिकल डॉक्टर नहीं, और उसने उसको बताया कि उसके शरीर का तापमान असंतुलित हो गया था, क्योंकि कोई चीज़ उसके रक्त को प्रभावित कर रही थी।

      वह औरत, एक तांत्रिक, श्री ली की बुआ, वास्तव में अभी भी इसके कारण के बारे में बिलकुल विश्वास से कुछ नहीं कह सकती थी। लेकिन उसने वादा किया कि वह इसके बारे में चौबीस घंटे में पता लगा लेगी, बशर्ते कि उसको कुछ नमूने उपलब्ध कराये जाएँ और जब वह बुलाए तब वह वापस आए। उसने श्री ली को काई का एक गुच्छा और एक पत्थर दिया।

      वह जानता था कि क्या करना है, क्योंकि वह इसे पहले भी कर चुका था, तो उसने काई पर पेशाब किया और पत्थर पर गहरी चोट करने के बाद उस पर थूक दिया। उसने श्रद्धा भाव से वे उसे वापस कर दिये, और इस सावधानी के साथ कि कहीं वह नंगे हाथों से छू कर उन्हें दूषित न कर दे, उस ने उन्हें अलग अलग केले की पत्तियों में लपेट दिया, ताकि उनकी नमी, जितनी देर तक हो सके, बनी रहे।

      “उन्हें सड़ने और सूखने के लिए एक दिन का समय दो, फिर मैं उनका बारीकी से निरीक्षण करूंगी और पता लगाऊँगी कि तुम्हारे साथ समस्या क्या है।”

      “धन्यवाद बुआ डा, मेरा मतलब है तांत्रिक डा। मैं आपके बुलावे का इंतज़ार करूंगा और जैसे ही आप मुझे बुलाएंगी, मैं हाजिर हो जाऊंगा।”

      “तुम यहीं इंतज़ार करो, बेटे, अभी मैं ने बात खत्म नहीं की है।”

      डा अपने पिछवाड़े की ओर गई और अलमारी से एक मिट्टी का मर्तबान उठाया। उसने उसे खोला, उसमें से दो घूंट भरे और आखिरी वाला बूढ़े ली पर थूक दिया। जब डा अपने देवताओं से प्रार्थना कर रही थी, श्री ली सोच रहे थे कि वह “पवित्रीकरण” के बारे में भूल गई है – उसे खुद पर किसी के थूकने से नफरत थी, खास कर के सड़े हुए दांतों वाली बूढ़ी औरतों के।

      “जब तक हम तुम्हारा मामला सुलझा नहीं लेते, यह शराब की फुहार और प्रार्थना तुम्हें काबू में रखेगी।” उसने उसे भरोसा दिलाया।

      तांत्रिक डा अपने चिकित्सकीय मंदिर की कच्ची ज़मीन से अपने पद्मासन से उठ खड़ी हुई, उसने अपनी बांह अपने भतीजे के गले में डाली, और सिगरेट को घुमाते हुए उसे साथ ले कर बाहर आ गई।

      बाहर आ कर उसने उसे सुलगाया, एक गहरा कश लिया और धुएँ को अपने फेफड़ों में भरता हुआ महसूस किया।

      “तुम्हारी वह बीवी और प्यारे बच्चे कैसे हैं?”

      “ओह, वे ठीक हैं, बुआ डा, लेकिन मेरे स्वास्थ्य को लेकर थोड़े चिंतित हैं। मैं कुछ दिन से थोड़ा बीमार महसूस कर रहा हूँ और आप तो जानती ही हैं, मैं अपने पूरे जीवन में कभी बीमार नहीं पड़ा हूँ।”

      “नहीं, हम ली लोग बहुत मजबूत होते हैं। तुम्हारे पिता, मेरे प्यारे भाई, भी अगर फ्लू से मर न गए होते, तो अब तक अच्छे-भले होते। वह भैंसे की तरह मजबूत थे। तुम चाहे जितनी कोशिश करो, लेकिन उसे कभी गोली नहीं लगी। मुझे लगता है, उसी चीज़ ने तुम्हें पकड़ लिया है, वही यांकी गोली।”

      “श्री ली इससे पहले भी इससे हजारों बार दो-चार हुआ था, लेकिन वह बहस में जीत नहीं सकता था, तो उसने सिर्फ हाँ में सिर हिलाया, अपनी बुआ को एक पचास बहत का नोट दिया और अपने खेत में बने घर लौट आया, जो गाँव के बाहर वहाँ से कुछ सौ गज की दूरी पर ही था।”

      वह पहले ही बेहतर महसूस कर रहा था, तो सब के सामने यह साबित करने के लिए वह जोशीली चाल से चला।

      बूढ़ा ली अपनी बूढ़ी बुआ डा पर पूरा विश्वास करता था, जैसा कि उसके समाज में सभी लोग करते थे, यह एक छोटा सा गाँव था, जिसमें कुछ पाँच सौ मकान और गाँव के बाहर कुछ दर्जन खेत थे। जब वह छोटा बच्चा था, तभी उसकी बुआ डा ने गाँव के ओझा की जगह संभाल ली थी, और ऐसे कुछ दर्जन लोग ही रहे होंगे, जिन्हें उसके पहले वाले ओझा की याद होगी। उनके बीच उनका अपना कोई विश्वविद्यालय का डिग्री याफ़्ता डॉक्टर नहीं था।

      ऐसा नहीं था कि किसी फिजीशियन तक