सुपर-हर्बी और स्मार्टी लोमड़ी. Massimo Longo E Maria Grazia Gullo

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Название सुपर-हर्बी और स्मार्टी लोमड़ी
Автор произведения Massimo Longo E Maria Grazia Gullo
Жанр Детская проза
Серия
Издательство Детская проза
Год выпуска 0
isbn 9788835420439



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़ाने में, वसंत ऋतु के दौरान, जब सभी अंडों से चूजे निकल चुके थे, कुछ अद्भुत घटित हुआ, या शायद यह कुछ अशुभ था?

      OEBPS/images/image0001.jpg सभी चमकीले पीले चूजों के बीच घास का एक गुच्छा चल रहा था : लेकिन वह वास्तव में घास का गुच्छा नहीं था!

      यह सबसे अजीब घटना थी, जो कभी मुर्गीख़ाने के भीतर ही नहीं, बल्कि

      पूरे समुदाय के भीतर घटित हुई थी! यह समझने के लिए कि क्या हुआ है, चूजों की रखवाली करने वाली मुर्गी को दखल देना पड़ा। उसे खुद घास के उस गुच्छे का पीछा करना पड़ा : कौन जानता था कि यह उसके झुंड में कैसे आ गया था? उसने पूरे परिसर में उसका पीछा करना शुरू कर दिया और तब तक करती रही, जब तक उसे यह महसूस नहीं हो गया कि घास का वह नन्हा गुच्छा चीं-चीं कर रहा है।

      अपने पूरे जीवन में कभी भी उस मुर्गी ने चीं-चीं करता हुआ घास का गुच्छा नहीं देखा था, हालाँकि वह पिछली कई वसंत ऋतुओं में चूजे पैदा कर चुकी थी और एक इज्जतदार रखवालनOEBPS/images/image0002.png रही थी।

      OEBPS/images/image0003.png कहीं घास के उस गुच्छे में कोई चूजा तो नहीं फँस गया?

      शायद कोई नन्हा-मुन्ना चूजा...

      जब उसका लक्ष्य एक चोंच भर ही दूर था, और मुर्गी उसे चोंच मारने ही

      वाली थी, तभी घास के उस गुच्छे में से एक हरे चूजे का चेहरा झाँका।

      मुर्गी ने धीरे से उसे अपनी चोंच से सहलाया और देखा कि उसके पंख हरे हैं। शायद गंदे हो जाने के कारण?

      लेकिन यह इतना गंदा कैसे हो गया?

      और कहाँ से हो गया?

      यह अभी-अभी अपने खोल से बाहर निकला है और मेरे साथ ऐसी गंदी चाल चल रहा है!

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      उसने उसे गरदन से पकड़ लिया और खींचकर उसे कुंड में नहलाने के लिए ले चली, जिसमें एल्युमिनियम का एक छोटा-सा बरतन था, जो

      आग के धुएँ के कारण बाहर से काला हो गया था, लेकिन भीतर से अभी भी सुनहरा और चमकदार था।

      और वह उसे लगातार धो रही थी, लेकिन यह देखकर उसकी परेशानी का ठिकाना नहीं रहा कि उसका हरापन खत्म ही नहीं हो रहा था।

      OEBPS/images/image0005.png वह चमकदार था, अच्छी तरह से तैयार था, लेकिन अभी भी हरा ही था।

      और इस तरह उसने उसका नाम रखा हर्बी—यानी हर्ब (घासपात) जैसा हरा।

      हर्बी इस स्थिति से स्पष्ट रूप से परेशान था।

      जैसे ही वह अपने अंडे के खोल से बाहर निकला था, वह हिल गया था और दाएँ-बाएँ उछल गया था। वह पैदा होने की एकमात्र अच्छी चीज का

      भरपूर फायदा नहीं उठा पाया था : कॉर्नफ़्लेक्स से अपना पेट भरना।

      OEBPS/images/image0006.png वह अचरज में था कि इतना शानदार और स्वादिष्ट भोजन किस रसोइये ने बनाया होगा?

      जैसे ही मुर्गी ने उसे जमीन पर रखा, उसके नन्हे पैरों ने धूल का एक बादल उठाया, और वह उसे वापस भोजन की जगह पर ले आई।

      किसी अन्य चूजे ने उसकी मौजूदगी पर ध्यान नहीं दिया : वे सब खाने में व्यस्त थे। उन खाऊ चूजों में से कोई भी इस डर से अपना सिर नहीं उठा रहा था कि कोई उसके हिस्से के कुछ दाने न झटक ले।

      मुर्गी, जो अभी भी उस घटना से सदमे

       में थी, बाड़े की गप्पी मुर्गियों से सलाह लेने के लिए दौड़ गई।

      ऐसा कुछ किसी पुरानी मुर्गी के साथ भी जरूर हुआ होगा।

      उनमें से उम्र में सबसे बड़ी मुर्गी ने सुझाव दिया कि वह उन अंडों के खोल जाँचे, जिनमें से चूजे निकले थे, हो सकता है वह मुर्गी का बच्चा न हो।

      दूसरी ओर, एक हक्की-बक्की मुर्गी बोली :

      “क्या तुम्हें यकीन है कि वह साँप नहीं है?”

      “चोंच और नन्ही कलगी वाला साँप?” रखवालन ने पूछा।

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